केंद्र सरकार ने रॉटवीलर, पिटबुल, टेरियर, वुल्फ कुत्तों और मास्टिफ़्स जैसी विशेष कुत्तों की नस्लों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। यह कार्रवाई दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्देश पर आधारित है जिसे देश भर के पशु कल्याण विशेषज्ञों और पशु कल्याण पर काम करने वालीओं संस्थाओं की सिफारिश के बाद की गई है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने राज्यों से इन नस्लों के मौजूदा पालतू जानवरों की नसबंदी करने को कहा है।
केंद्र सरकार ने रॉटवीलर, पिटबुल, टेरियर, वुल्फ कुत्तों और मास्टिफ़्स जैसी विशेष कुत्तों की नस्लों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। यह कार्रवाई दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्देश पर आधारित है जिसे देश भर के पशु कल्याण विशेषज्ञों और पशु कल्याण पर काम करने वालीओं संस्थाओं की सिफारिश के बाद की गई है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने राज्यों से इन नस्लों के मौजूदा पालतू जानवरों की नसबंदी करने को कहा है।
इस आदेश के संबंध में बताया जा रहा है कि पिछले दिनों कुत्तों के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों लोगों की कुत्तों के प्रति नकारात्मक सोच के कारण यह मामला उठाया गया कि कुत्तों के काटने के कारण होने वाली मौतों की बढ़ती घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य से कुछ विशेष’ कुत्तों की नस्लों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है।
AWBI letter to the states for banning furious dogs pdf– Circulars
https://www.thehindu.com/latest-news/67948447-LettertoStatesforBanningofFuriousDogs.pdf
इस आदेश में कहा गया है कि रॉटवीलर, पिटबुल, टेरियर, वुल्फ कुत्ते और मास्टिफ भारतीय सोसाइटी के लिए फिट नहीं है। प्रतिबंध में इन नस्लों की क्रॉस और हाइब्रिड नस्लें भी शामिल इसी श्रेणी के अंतर्गत रखा जाएगा। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह निर्णय विशेषज्ञों और पशु कल्याण निकायों की एक समिति द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के जवाब में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद आया है।
केंद्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग ने सभी राज्यों को एक पत्र भेजकर यह सूचित किया है कि स्थानीय तथा प्रशासन इसे लागू करें। साथ ही साथ यह भी कहा गया है कि इन कुत्तों की बिक्री और प्रजनन के लिए लाइसेंस या परमिट जारी ना करें। इस आदेश में उनके प्रजनन को रोकने के लिए कुत्तों की नसबंदी करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। प्रतिबंध नस्लों की पहचान करके उन्हें सूचीबद्ध करने तथा उनकी हाइब्रिड और क्रॉस ब्रीड के बारे में संज्ञान रखना का अनुरोध किया गया है।
प्रतिबंधित श्रेणी में कुत्तों की जो नस्लें शामिल की गई है उनमें- पिटबुल टेरियर,टोसा इनु,अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर,फिला ब्रासीलीरो,डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोएसबोएल,कांगल,प्रजाति को शामिल किया गया है। साथ ही साथ मध्य एशियाई शेफर्ड कुत्ता,कॉकेशियन शेफर्ड कुत्ता,दक्षिण रूसी शेफर्ड कुत्ता,टोर्नजैक, सरप्लैनिनैक,जापानी टोसा और अकिता,मास्टिफ्स,रॉटवीलर,टेरियर्स,रोड्सियन रिजबैक,वुल्फ़ कुत्ते,कैनारियो,अकबाश मॉस्को गार्ड और केन कोरो तथा बंगडोंग की प्रजाति शामिल है।
यह भी कहा गया है कि कुत्तों की कुछ नस्लों को पालतू जानवर के रूप में प्रतिबंधित करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के साथ-साथ नागरिकों और पशु कल्याण संगठनों द्वारा उठाई गई चिंताएँ ध्यान में रखी गई है। अदालत ने यूनियन ऑफ़ इंडिया को सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद, अधिमानतः तीन महीने के भीतर मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसके अलावा सरकार ने राज्यों से पशु क्रूरता निवारण (कुत्ते प्रजनन और विपणन) नियम 2017 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
इसके साथ-साथ यह कहा गया है कि स्थानीय निकायों और राज्य पशु कल्याण बोर्डों द्वारा पशु क्रूरता निवारण (पालतू जानवर की दुकान) नियम 2018। सरकार के फैसले का उद्देश्य मानव जीवन की रक्षा करना और कुत्तों के हमलों की आगे की घटनाओं को रोकना है। यह जिम्मेदार पालतू पशु स्वामित्व को बढ़ावा देने और मनुष्यों और जानवरों दोनों के कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।
इस मामले में कई पशु प्रेमियों ने इस बात को स्वीकार किया और कहा, ” विदेशी नस्ल के कुत्तों का विस्तार देश में पशु कल्याण के मापदंडों के अनुकूल नहीं हैक्योंकि,विदेशी नस्ल के कुत्तों के पालन पोषण से देसी नस्ल के कुत्तों लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसका नतीजा है कि गली पूछे और शहर में कुत्तों की अपेक्षा होने से ऊपर तमाम अपराध हो रहे हैं। भूख प्यास से व्याकुल कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते । इस समस्या के निदान के लिए पारंपरिक तौर पर गली मोहल्ले के कुत्तों को देखभाल करने से इन समस्याओं को काफी हद तक निपटाया जा सकता है।”